अमृत से सिंचित और ब्रह्मदेव के यज्ञ से पवित्र तीर्थराज प्रयाग की धरती पर मोक्ष की लालसा लिए दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक और आध्यात्मिक माघ मेला के चौथे बसंत पंचमी स्नान के अवसर पर वैश्विक महामारी कोरोना से बेफिक्र लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डूबकी लगायी। संगम तट पर तंबुओं की बसी अस्थायी आध्यात्मिक नगरी में कोरोना संक्रमण काल में शायद मौनी अमावस्या के बाद यह दूसरा मौका होगा जब देश और विदेश में कहीं एकसाथ लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने वासंतिक हिलोर में पुण्य की डुबकी लगाई ।
स्नान पर्व से पहले कोरोना पर आस्था भारी पड़ती दिखी, श्रद्धालुओं का जनसमूह संगम में समाते नजर आया। सोमवार से ही मेला क्षेत्र में पहुंचे श्रद्धालु विभिन्न सेक्टर में बसे कल्पवासी और तीर्थपुरोहित तथा महात्माओं के शिविर में शरण ली थी । मौनी अमावस्या को करीब 30 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया था। मेला क्षेत्र में कोरोना गाइडलाइन तार-तार दिखी। मेला के सभी मार्गों काली सड़क, त्रिवेणी मार्ग, मोरी मार्ग, दारागंज एवं झूंसी समेत अन्य रास्तों पर श्रद्धालुओं का हुजूम रहा है। कोरोना गाइडलाइन ‘‘दो गज की दूरी. मास्क है जरुरी’’ के बारे में मेला क्षेत्र लगातार लाउडस्पीकर पर लोगों को सचेत किया जा रहा है लेकिन लोगों पर इसका कोई असर नजर नहीं हो रहा था।
लोग कोरोना के प्रति बेपरवाह दिख रहे थे। मंगलवार को माघ मेला के चौथे स्नान पर्व बसंत पंचमी पर पुलिसए पीएसीए अर्द्धसैनिक बल, बम निरोधक दस्ते के साथ एटीएस और कमांडो की टीम सक्रिय रहीं। नियंत्रण कक्ष से सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से संदिग्धों पर नजर रखे हुए हैं।पंचमी तिथि सोमवार की रात दो बजकर 45 मिनट से शुरु होकर मंगलवार की रात चार बजकर 35 मिनट तक रहेगी। श्रद्धालु ओं ने भोर तीन बजे से ही संगम में गोता लगाना शुरु कर दिया था । हालांकि आधिकारिक रुप से चार बजे तड़के स्नान का समय निर्धारित किया गया है।बू मिलेगी।